काँगड़ा / खजियार (हिमाचल प्रदेश )

गाद से हर साल सिकुड़ रही खजियार झील को राहत मिलती नहीं दिख रही है। झील की दशा की स्थिति जानने के लिए 31 जनवरी को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक्सपर्ट टीम का दौरा प्रस्तावित था, लेकिन मौसम बाधा बन गया। मौसम के प्रतिकूल पूर्वानुमान ने केंद्रीय टीम के इस दौरे को लटका दिया है। मौसम ठीक रहने पर यह टीम अपने प्रस्तावित दौरे के दौरान झील का बारीकी से निरीक्षण कर इसके उपचार का काम शुरू करने वाली थी। विभाग के झोले में करोड़ों रुपये का बजट भी
कोई एक्शन शुरू होने का इंतजार कर रहा है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजियार की इस कुदरती झील का वजूद गाद के कारण काफी समय से खतरे में है। विभाग को भी इस बात का अंदाजा है और वन्य प्राणी विभाग गाद की समस्या खत्म करने की बात भी कहता है। फिर भी
कई साल से यह झील अपने अस्तित्व की लड़ाई अपने दम पर लड़ रही है। कागजों में तो समस्या भी है और समस्या के समाधान के लिए नेशनल वेटलैंड एक्शन प्लान का छह करोड़ का भारी-भरकम बजट भी है।
इसमें से 48 लाख रुपये की किश्त जारी होने के बाद भी सतह पर कोई कारगर योजना शुरू नहीं हो पाई है। हालांकि, अतीत में एक्सपर्ट टीम भी यहां आई, मगर कुदरती झील पर नकारात्मक प्रभाव के खतरे के चलते कुछ तय नहीं कर पाई। झील की खराब होती हालत तथा उसमें सड़ रहे घास के कारण आती दुर्गध यहां आने वाले पर्यटकों का मुंह चिढ़ाती है।
यदि जल्द ही खजियार झील के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले समय में इसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। ऐसे में यहां आने वाले पर्यटकों को महज निराशा ही हाथ लगेगी।
इसलिए स्थानीय लोगों सहित यहां आने वाले पर्यटक जल्द झील की सुंदरता को बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं। वन्य प्राणी विभाग चंबा के डीएफओ निशांत मंढोत्रा ने बताया कि 31 जनवरी को विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी की एक्सपर्ट टीम का दौरा प्रस्तावित था। खराब मौसम तथा प्रदेश में मौसम प्रतिकूल रहने के पूर्वानुमान के चलते टीम का दौरा स्थगित हो गया है। उन्होंने कहा कि मौसम के ठीक होते ही टीम दौरा करेगी।
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