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15वें वित्तायोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था। यहां पर पंचायतों की आमदनी से संबंधित जानकारी एकत्र की गई। आयोग ने इस दौरान अपने अध्ययन में पाया कि राज्य में पंचायतों की बहुत
कम आय है। यानी यहां पर पंचायतों की टैक्स और नॉन टैक्स से कुल आय महज 13.7 फीसदी ही है। संसद में रखी अपनी रिपोर्ट में पंद्रहवें वित्तायोग ने प्रदेश सरकार को सुझाव दिया है कि संपत्ति कर की दरों को बढ़ाने से आमदनी बढ़ेगी। हिमाचल प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में लोगों को विभिन्न सुविधाओं की एवज में कई तरह के यूजर्स चार्जेस लगाने की तैयारी है। पंचायतों में संपत्ति कर भी बढ़ाए जा सकते हैं। 15वें वित्तायोग ने राज्य सरकार को इन पंचायतों की आमदनी बढ़ाने की सलाह दी है। साथ ही यह खुलासा किया है कि प्रदेश में ग्राम पंचायतें अपने कुल खर्च का 13.7 प्रतिशत ही कमा रही हैं। पंचायतों में यूजर्स चार्जेस का परिचय करवाया जा सकता है। राज्य में संपत्ति कर भी पंचायतें नाममात्र का ही लगाती हैं। इसकी दरें भी संशोधित की जा सकती हैं।
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