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हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन अब सिमट चुका है। किन्नौर के ऊंचाई वाले इलाके चांगो
का ही सेब अब बचा हुआ है। यहां पांच लाख तक सेब पेटी का अनुमान है। इस बार 75 लाख पेटी सेब का कम उत्पादन हुआ है। इस सीजन में 2.70 करोड़ सेब पेटियां अभी तक देश की मंडियों में पहुंच चुकी हैं। इस साल 2.75 करोड़ सेब पेटियों का उत्पादन हुआ है जबकि, पिछले साल यह आंकड़ा 3.50 करोड़ सेब पेटी था। इस बार मौसम ने भी बागवानों को चपत लगाई है। सेब तो 75 लाख पेटी कम हुआ ही, साथ ही ज्यादातर सेब का रंग और आकार न बनने से उसे सी ग्रेड श्रेणी में रखा गया। इनके बागवानों को अच्छे दाम भी नहीं मिले। कोरोना काल होने के बावजूद सेब सीजन की शुरुआत में तो बागवानों को अच्छे दाम मिले लेकिन, उसके बाद
सेब उत्पादन अच्छे दामों को तरसते रहे। हालांकि, उच्च विदेशी क्वालिटी के सेब ने इस बार रिकॉर्ड भी तोड़े। राज्य सरकार मान रही थी कि इस बार जूस तैयार करने के लिए भी सेब की कमी रहेगी लेकिन, एचपीएमसी ने जरूरत का 800 मीट्रिक टन सेब भी जुटा लिया है। इस बार छोटे आकार का सेब ज्यादा मात्रा में तैयार हुआ है। इस कारण सरकार को खरीद केंद्रों में जरूरत का सेब मिल गया है। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर कहते हैं कि पिछली बार इस वक्त तक कुल 3.50 करोड़ पेटी सेब मंडियों में बिका था और इस बार अभी तक 2.70 करोड़ पेटी सेब मंडियों में बिक चुका है। किन्नौर के ऊंचाई वाले इलाके से करीब 5 लाख पेटी सेब और आने का अनुमान है।
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